लौकी के पौधे में दो तरह के फूल आते हैं, एक नर और दूसरा मादा । पहले नर फूल आता है फिर मादा। मोटे तौर पर दोनों फूल एक जैसे ही दिखते हैं लेकिन अगर आप ध्यान से देखें तो फूल के अंत के आधार पर आप अंतर कर सकते हैं। नर फूल में केवल पतली हरी डंडी होती है जबकि मादा फूल में एक छोटा सा फल लगा होता है । इस फोटो में ज्यादातर फल के साथ मादा फूल हैं । फूल हालाँकि सूख गए हैं । नर फूल के नीचे ऐसे फल नहीं होते हैं जबकि पतली हरी डंठल होती है ।
कई बार शुरू में कुछ लौकी २-३ लम्बी होकर ही गिर जाती हैं और बड़ी नहीं होतीं । इसका एक मुख्य कारण है परागण ।
परागण क्या है? परागण में नर फूल के पुंकेसर से मादा फूल के स्टिग्मा तक पराग कण को पहुँचाना होता है । आमतौर पर यह काम भँवरा, तितली (bees) इत्यादि करते हैं तो अगर आपकी बगिया में भँवरा है तो यह काम प्राकृतिक रूप से हो जाता है । तो मैं आम तौर पर अपनी सब्जी की बगिया में खुशबू वाले फूल भी लगाती हूँ जो भंवरों और तितलियों को आकर्षित करते हैं और परागण अपने आप होता है ।
अगर परागण नहीं होता है तो कई बार फल बढ़ते नहीं और गिर जाते हैं। अगर सभी फल छोटे में ही गिर रहे हैं और बड़े नहीं हो रहे हैं तो इसका अर्थ है कि परागण की क्रिया नहीं हो रही है।
तो अगर आपकी बगिया में भँवरे नहीं आते तो यह काम आपको करना होगा। नर फूल को मादा फूल में हलके हाथों से रगड़ने से इस प्रक्रिया को अंजाम देना होगा । किसी पतले ब्रश की मदद से भी नर फूल के पराग को मादा फूल के स्टिग्मा तक पहुँचाया जा सकता है ।
परागण की प्रक्रिया सुचारू रूप से होने पर जल्द ही फल बढ़ने लगता है । और फिर आपको अगले १०-१२ दिन के अन्दर एक ताजी लौकी मिलने लगेगी ।
सभी फोटो हमारे घर की बगिया की हैं। [1]
प्रश्न का अनुरोध करने के लिए आपका आभार!
फुटनोट
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