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Circulatory systemBy social worker Vanita Kasani PunjabRead in another languagedownloadTake careEditLearn moreReference or source is not given in this article.Circulatory system

In which country can a person from India travel without a visa? By social worker Vanita Kasani PunjabPeople of India, 58 countries in the whole world can roam without a visa, but some of them

🌹वास्तुशास्त्र_और_महत्वपूर्ण_विचार🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦वास्तुशास्त्रं_प्रवक्ष्यामी_लोकानां_हितकाम्यया। वास्तुशास्त्र_शब्द_का_अर्थ_है। #निवास_करना!,जिस भूमि पर मनुष्य निवास करते है उसे “वास्तु” कहा जाता है। वास्तु देवता को आत्मावर्धनशील भी कहा गया है।एक कहावत है की अंधकासुर दैत्य एवम भगवान शंकर के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में शंकरजी के शरीर से पसीने की कुछ बुँदे ज़मीन पर गिर परी, उन बूंदों से आकाश और पृथ्वी को भयभीत करने वाला एक प्राणी प्रकट हुआ। और देवो के साथ युद्ध करने लगा। तब सब देवताओ ने उसे पकड कर उसका मुह नीचे करके दबा दिया और उसको शांत करने के लिए वर दिया __ “सभी शुभ कार्यो में तेरी पूजा होगी”! तब देवों ने उस पुरुष पर वास किया । इससे कारण उसका नाम “वस्तापुरुष” प्रचलित हुआ। उस पर सभी देवता निवास करते है अतः सभी बुद्दिमान पुरुष उसकी पुजा करते हैं। तब से सभी शुभ कार्यो में जैसे ग्राम, नगर, दुर्ग, मंदिर, मकान, जलाशय, उद्यान, आदि आदि के निर्माण के अवसर पर वास्तुपुरुष की पुजा अनिवार्य है।वास्तु-पुरुष की पूजा गृह निर्माण के आरम्भ में, द्वार बनाने के समय, मकान में प्रवेश के समय करनी चाहिए ! इसके अतिरिक्त यज्ञोपवित, विवाह, जीर्णोधार, बिजली और अग्नि से जलने वाले मकान को बनाने के समय सर्प, चंडाल, उल्लू, गिद्ध, से युक्त मकान में पुनर्वास करते समय वास्तुपुरुष की पूजा विधि विधान से करने पर घर के सभी प्रकार से दोष और उत्पात का शमन होकर सुख, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है!घर-चौकोर में ही बनाये ! मकान के चारों कोने समकोण होने चाहिये |यदि चारो कोनो में से एक भी छोटा हो ! तो उस स्तिथि को “कोणवेध” कहते है! कोणवेध युक्त मकान में रहने वालो को मृत्यु समान पीड़ा सहन करनी पड़ती है! #अकपाटमनाच्छननामदत्तबलिभोजनम ! #गृहमनप्रविशेदवम_विपदामाकारम_हीततः!घर बनाने से पहले पूजास्थान {ईशानकोण}, माता पिता का, अपना कमरा और बाद में बच्चे और अतिथि के कमरे का स्वरुप दे! नौकर को बाहरी स्थान में वास कराऐ ! जिस प्रकार मानव जीवन में भोजन और वस्त्र का महत्व है “वास का भी उतना ही महत्त्व है।१. शयन कक्ष में मंदिर नहीं होनी चाहिए या बच्चे उस कमरे में सो सकते है।२. पश्चिम या दक्षिण में शयन कक्ष होना उत्तम है, पूर्व या उत्तर में नव दंपत्ति नहीं सो सकते है।३. घर के दरवाजे एक कतार में दो से अधिक नहीं होनी चाहिए ! दरवाजे की संख्या समसंख्या में होना शुभ है, घर की खिड़किया समसंख्या में होनी चाहिए।४. गृह निर्माण कार्य “नैतृत्य” से आरम्भ करे। पश्चिम, दक्षिण या पूरब उत्तर के एक दिशा में खुली जगह अवश्य रहनी चाहिए।५. रसोईघर “आग्नेय” में होना चाहिए।६. रसोई बनाते समय रसोई में काम करने वाले का मूह पुर्व दिशा में हो, और रसोई घर का दरवाज़ा मध्य में रहने चाहिए।७. अतिथि कमरा “वायव्य” में होना चहिये।८. मकान में शौचालय दक्षिण या पश्चिम में होना चाहिए और दरवाज़ा पूरब में।९. स्नान घर और स्नान पूरब दिशा की ओर होना उत्तम है।१०. जहा आप घर लेने जा रहे है, वहां घर के अगल- बगल में बड़ी इमारत, पेड़ या मंदिर नहीं होना चाहिए।११. घर के सामने का रास्ता समाप्त नहीं होना चाहिए ! उसे “विथिशूल” कहा जाता है। वहां तरक्की नहीं होती और अशांति बनी रहती है।१२. घर में बरामदा जरूर रखे।१३. घर के मुख्य सीढ़िया दक्षिण या पश्चिम की या वायव्य आग्नेय दिशा में भी ठीक है। मकान में सीढियां विषम सख्या में ही रखे।१४. रसोई घर में गैस चूल्हा स्लैप की आग्नेय में या दक्षिण की तरफ दीवाल से कुछ दूरी पर रहना चाहिए।१५. शौचालय में नल ईशान पूरब या उत्तर की तरफ लगाये।१६. भोजनालय या बैठक का दरवाज़ा उत्तर या पूर्व में होना चाहिये।१७. मकान में तहखाना शुभ नहीं होता और मकान में हर कमरा उच्च नीच नहीं होना चाहिए यानि समतल और नीचे चौखट रहना शुभ है जो आज कल नहीं दिखाई देता।१८. कमरे में पूर्व या उत्तर में देवी देवता का चित्र लगाना चाहिए, दक्षिण में पूर्वजो (मृत लोगो) का चित्र और पश्चिम में प्रकृति से संबधित चित्र लगा सकते है।१९. रसोई या शौचालय के सामने मुख्य प्रवेश द्वार नहीं होना चाहिए।BAL Vnita mahila ashram🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मनुष्य के जीवन में कुंडली के बाद-- :”स्थान दोष” बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। स्थान दोष के साथ वेध दोष भी मनुष्य को प्रभावित करता है जो विभिन्न प्रकार के वास्तु वेधो की संक्षिप्त जानकारी #प्रस्तुत कर रहा हूँ –👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇१.दिशा वेध- किसी भी घर का निर्माण अपने इच्छा अनुसार नहीं करना चाहिए ! उससे धन और कुल का नाश होता है।२ कोण वेध – मकान के चारों कोने समकोण होने चहिये। कोई भी कोने आगे पीछे या ज्यादा अधिक हुआ तो कोण वेध कहते हैं। उसमे रहने वाले मानसिक और शाररिक कष्ट पाते हैं।३ द्वार वेध - घर के द्वार के सामने या अगल बगल पेड, बिजली का पोल,पानी का भराव या किसी भी प्रकार के वस्तु को द्वार वेध कहते हैं उसमें तरक्की नहीं है, और अपमान सहना पड़ता है।४ स्वर वेध – मकान का दरवाज़ा खोलते या बंद करते समय आवाज नहीं होनी चाहिए ! उसे स्वर वेध कहते है।५ स्तंभ वेध – मकान के अन्दर आते ही कोई स्तंभ दिखाए दे, तो स्तम्भ वेध बनता है। इससे पुत्र और धन का नाश होता है।६ छिद्र वेध – घर के पिछवारे में खुला हो तो उसे छिद्र वेध कहते है। इससे शकून नहीं मिलता है। कुछ लोग पिछवारे का दक्षिण में हवा या प्रकाश के लिए खोलते हैं, तो यही दोष लग जाता है।७ दृष्टी वेध – घर में प्रवेश करते ही घर सूना सूना या भय, डर लगे तो इस प्रकार के घर को दृष्टी वेध कहा जाता है। उसमे रहने बाला दरिद्र बनते है, और घर में अनिष्ट होते है।८ चित्र वेध (शिल्प वेध)- जिस मकान में बाघ सिंह, कुता, क्रूर प्राणी, कौआ, उल्लू , गीध, भूत, प्रेत, राक्षस, युद्ध के प्रसंग का चित्र हो तो निसंदेह उस मकान में “चित्र वेध” होता है। उसे लगाने के बाद तरक्की रुक जाती है।९ सम वेध –प्रथम मंजिल के अनुसार दोसरी मंजिल ऊचाई के आधार पर तो सम वेध होता है याना प्रथम मंजिल १२ फीट का है तो दूसरा ११ या १० फीट का रहना चाहिए, ऐसे घर में रहने से कलह या परिवार का विच्छेद होता है।१० आकार वेध – मकान अनेक आकार के होते है, उसे आकार वेध कहते है जैसे मकान का ऊपर का हिस्सा जापनीज शैली का और नीचे भारतीय शैली का हो तो उसे आकार वेध कहते है। उसमे सुख शान्ति नहीं मिलती साथ ही तहखाना भी इसी दोष में आता है।११ रूप परिवर्तन वेध – मकान में बार बार तोड़ फोड़ हो, या मुख्य दरवाज़े को इच्छा अनुसार सजाने पर रूप परिवर्तन दोष लग जाता है। ऐसे घर में मानसिक कष्ट और अपयश लगता है।१२ आन्त्तर वेध – घर में गृह प्रवेश के बाद बटवारा होने के कारण दीवार बनने पर अंतर वेध होता है, उससे संपत्ति का नाश और कष्ट प्रारंभ होता है।१३ वृक्ष वेध – घर के सामने कोई भी वृक्ष हो तो वृक्ष वेध बनता है। इससे शांति पूर्ण जीवन जीने में कठिनाइया आती है।१४ स्थान वेध – मकान के सामने धोबी, लोहार, चक्की या निःसंतान का मकान हो तो स्थान वेध उत्पन्न होता है ऐसे घर कलह प्रधान होते है।वास्तु की प्राथमिक जानकारी आप इस चित्र में जान सकते है। 🙏🙏🙏🙏

Giloy juice is considered as nectar to increase immunity, these 5 diseases also stay away from daily intake By social worker Vanita Kasaniyan Punjab:Health Benefits Of Giloy juice: Aaj Jab Kovid 19 (COVID