*🔹 आज का प्रेरक प्रसंग 🔹* *!! आरम्भ !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~By वनिता कासनियां पंजाब ?एक राजा था जिसका नाम रामधन था उनके जीवन में सभी सुख थे | राज्य का काम काज भी ऐशो आराम से चल रहे था | राजा के नैतिक गुणों के कारण प्रजा भी बहुत प्रसन्न थी | और जिस राज्य में प्रजा खुश रहती हैं वहाँ की आर्थिक व्यवस्था भी दुरुस्त होती हैं इस प्रकार हर क्षेत्र में राज्य का प्रवाह अच्छा था |इतने सुखों के बाद भी राजा दुखी था क्यूंकि उसकी कोई संतान नहीं थी यह गम राजा को अंदर ही अंदर सताता रहता था | प्रजा को भी इस बात का बहुत दुःख था | वर्षों के बाद राजा की यह मुराद पूरी हुई और उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई | पुरे नगर में कई दिनों तक जश्न मना | नागरिकों को राज महल में दावत दी गई | राजा की इस ख़ुशी में प्रजा भी झूम रही थी |समय बितता जा रहा था राज कुमार का नाम नंदन सिंह रखा गया | पूजा पाठ एवं इन्तजार के बाद राजा को सन्तान प्राप्त हुई थी इसलिये उसे बड़े लाड़ प्यार से रखा जाता था लेकिन अति किसी बात की अच्छी नहीं होती अधिक लाड़ ने नंदन सिंह को बहुत बिगाड़ दिया था | बचपन में तो नंदन की सभी बाते दिल को लुभाती थी पर बड़े होते होते यही बाते बत्तमीजी लगने लगती हैं | नंदन बहुत ज्यादा जिद्दी हो गया था उसके मन में अहंकार आ गया था वो चाहता था कि प्रजा सदैव उसकी जय जयकार करे उसकी प्रशंसा करें | उसकी बात ना सुनने पर वो कोलाहल मचा देता था | बैचारे सैनिको को तो वो पैर की जुती ही समझता था | आये दिन उसका प्रकोप ी हैं |नंदन को सभी बातें विस्तार से समझ आ जाती हैं और वो अपने महल लौट जाता हैं | नंदन में बहुत परिवर्तन आता हैं और वो बाद में एक सफल राजा बनता हैं |*शिक्षा:-*गुरु की सीख ने नंदन का जीवन ही बदल दिया, वो एक क्रूर राज कुमार से एक न्याय प्रिय दयालु राजा बन गया |इस प्रसंग से हमें यही शिक्षा मिलती हैं कि हममें गुण होंगे तो लोग हमें हमेशा पसंद करेंगे लेकिन अगर हम अवगुणी हैं तो हमें प्रशंसा कभी नहीं मिल सकती |*सदैव प्रसन्न रहिये।**जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
*🔹 आज का प्रेरक प्रसंग 🔹* *!! आरम्भ !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~By वनिता कासनियां पंजाब ?एक राजा था जिसका नाम रामधन था उनके जीवन में सभी सुख थे | राज्य का काम काज भी ऐशो आराम से चल रहे था | राजा के नैतिक गुणों के कारण प्रजा भी बहुत प्रसन्न थी | और जिस राज्य में प्रजा खुश रहती हैं वहाँ की आर्थिक व्यवस्था भी दुरुस्त होती हैं इस प्रकार हर क्षेत्र में राज्य का प्रवाह अच्छा था |इतने सुखों के बाद भी राजा दुखी था क्यूंकि उसकी कोई संतान नहीं थी यह गम राजा को अंदर ही अंदर सताता रहता था | प्रजा को भी इस बात का बहुत दुःख था | वर्षों के बाद राजा की यह मुराद पूरी हुई और उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई | पुरे नगर में कई दिनों तक जश्न मना | नागरिकों को राज महल में दावत दी गई | राजा की इस ख़ुशी में प्रजा भी झूम रही थी |समय बितता जा रहा था राज कुमार का नाम नंदन सिंह रखा गया | पूजा पाठ एवं इन्तजार के बाद राजा को सन्तान प्राप्त हुई थी इसलिये उसे बड़े लाड़ प्यार से रखा जाता था लेकिन अति किसी बात की अच्छी नहीं होती अधिक लाड़ ने नंदन सिंह को बहुत बिगाड़ दिया था | बचपन में तो नंदन की सभी बाते दिल को लुभाती थी पर बड़े होते होते यही बाते बत्तमीजी लगने लगती हैं | नंदन बहुत ज्यादा जिद्दी हो गया था उसके मन में अहंकार आ गया था वो चाहता था कि प्रजा सदैव उसकी जय जयकार करे उसकी प्रशंसा करें | उसकी बात ना सुनने पर वो कोलाहल मचा देता था | बैचारे सैनिको को तो वो पैर की जुती ही समझता था | आये दिन उसका प्रकोप ी हैं |नंदन को सभी बातें विस्तार से समझ आ जाती हैं और वो अपने महल लौट जाता हैं | नंदन में बहुत परिवर्तन आता हैं और वो बाद में एक सफल राजा बनता हैं |*शिक्षा:-*गुरु की सीख ने नंदन का जीवन ही बदल दिया, वो एक क्रूर राज कुमार से एक न्याय प्रिय दयालु राजा बन गया |इस प्रसंग से हमें यही शिक्षा मिलती हैं कि हममें गुण होंगे तो लोग हमें हमेशा पसंद करेंगे लेकिन अगर हम अवगुणी हैं तो हमें प्रशंसा कभी नहीं मिल सकती |*सदैव प्रसन्न रहिये।**जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️